Saturday, July 16, 2011

Shri Hanumaan bahuka

सिन्धु-तरन , सिय-सोच-हरण , रबि-बालबरन-तनु |
भुज  बिसाल , मूरति कराल , कालहुको काल  जनु ||
गहन -दहन -निरदहन -लंक  निहसंक , बंक-भुव  |
जातुधान -बलवान -मान  मद दवन  पवनसुव ||
कह  तुलसीदास  सेवत  सुलभ , सेवक  हित  संतत  निकट  |
गुनगनत, नमत, सुमिरत , जपत , समन सकल -संकट -बिकट  || 1 ||

स्वरण -सैल-संकस कोटि -रबि-तरुण -तेज -घन  |
उर  बिसाल , भुजदंड  चंड नख  बज्र बज्रतन  ||
पिंग  नयन , भृकुटी  कराल  रसना  दसनानन |
कपीस  केस , कर्कस  लंगूर , खल -दल  बल  भानन ||
कह  तुलसीदास  बस  जासु  उर  मारुतसुत  मूरति  बिकट  |
संताप  पाप  तेहि  पुरुष  पाहिं  सपनेहुँ नहीं  आवत  निकट  || 2 ||

पंचमुख -छमुख- भृगु मुख्य भट-असुर -सुर ,
सर्व -सरि-समर  समरत्थ  सूरो  |
बंकुरो  बीर  बिरुदैत  बिरुदावली ,
बैद  बंदी  बदत  पैजपूरो ||
जासु  गुनगाथ  रघुनाथ  कह , जासु  बल ,
बिपुल -जल -भारित  जग -जलधि  झूरो  |
दुवन -दल -दमनको  कौन  तुलसीस  है 
पवनको  पूत  राजपूत  रूरो  || 3 ||



भानुसों  पर्रहन हनुमान  गए  भानु  मान-
अनुमानि सिसुकेलि कियो  फेरफार  सो  |
पाछिले  पगनि गम  गगन  मगन -मन,
क्रमको न  भ्रम , कपि बालक -बिहार  सो  ||
कौतुक  बिलोकी  लोकपाल  हरि हर  बिधि 
लोचानानी  चकाचौंधी  चितनी खभार  सो  |
बल  कैधों  बीररस , धीरज  कई , सहस  कै,
तुलसी  सरीर  धरे  सब्निको  सार  सो  || 4 ||

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